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खेत बेचवा

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                        खेत बेचवा बड़ा नाम था पंडित रामदीन मिश्रा का अपने गांव में वो ढाई बिगहे के काश्तकार थे। समय के साथ पंडित जी अपने उमर के चौथेपन में थे, उन्होने अपनी जिंदगी खेती बाड़ी और कथा वार्ता करके काटी थी। उनके समय में   दरवाजे पर हमेशा दो लगेन चउवा जरूर रहते थे। पंडित जी सुबह तड़के जब तक दो खांची गोबर की खाद खेत में फेक नही लेते उनको चैन नही मिलता था। यह उनका नित्य का काम था। चार दाना काली मिर्च के मुंह में  डाल कर वह दोपहर तक खेत में मेंहनत करते वो अपने साथ एक पीले रंग का झोला रखते थे, उस झोले में एक छोटी सी टिफिन में उनके ठाकुर बाबा होते थे, अगर कभी खेतों में काम करते हुये उन्हे देर हो जाती तो वहीं खेत से सटे कूंयें पर ही स्नान कर लेते और ठाकुर बाबा को नहवा कर तुलसी दल और काली मिर्च तथा एक टुकड़ा गुड़ मुंह में डाल लेते ताकि खर सेवर न हो। पंडित जी उत्तम खेती मध्यम बान वाले फिलासफी को सही मानते थे, खेती को संवारने के बाद ही पूजा पाठ और जजमानी देखते थे। पंडित जी को अपने खेतों से बहुत प्यार था वो कहा करते थ...

”धंधा“

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’मां कसम अगर भगवान कभी पैसा दिया न तो उसके दोनो बच्चों को मै पाल लूंगा’ सिगरेट का गहरा कस लेकर नाक से ढेर सारा धूंआ छोड़ते मुन्नू मिश्रा ने कहा, प्रत्युत्तर में राजेश केवल हामी भर सका था।  हरिश्चंद्र घाट से टहलते-टहलते दोनो चेत सिंह घाट चले आये थे। बनारस के घाट शाम हो या सुबह टहलने का एक अलग ही आनंद देते हैं। एक घाट से सटा दूसरा घाट कब आ जाता है, पता ही नही चलता, देशी और विदेशी सैलानियों को निहारते निहारते राह कट जाती है। दोनो चेत सिंह घाट पर बैठ गये, राजेश की उत्सुकता बड़ी जबरदस्त थी लेकिन वो कुछ पूछ नही पा रहा था। राजेश चाह रहा था कि मुन्नू डिटेल से बताये लेकिन एक अन्जाना सा खौफ व मुन्नू का शातिरपना मुन्नू को राजेश के सामने खुद को खोलने से रोके हुये था। राजेश आजमगढ़ जनपद का रहने वाला था, वो बनारस एमसीए की तैयारी करने गया था। रवींद्रपुरी कालोनी में एक कोचिंग ज्वाइन कर वो कालोनी से सटे एक मुहल्ले में कमरा लेकर रहने लगा था। कोचिंग जाने की राह पर बना बाबा कीनाराम का आश्रम उसे आकर्षित करता था। आश्रम से सटे ही बस्ती थी जिसकी टेढ़ी मेढ़ी गलियों में दो चार कदम चलने के बाद उसका रूम आ जाता था। ...

डीएम आफिस से कुंवर सिंह पार्क तक शिक्षकों का उमड़ा सैलाब

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आनलाइन हाजिरी के विरोध में सड़क पर उतरे शिक्षक जुलूस निकाला, धरना दिया और ज्ञापन सौंपा आजमगढ़। ऐसा बहुत कम होता जब सारे बुद्विजीवी एक बैनर तले आ जांय, ऐसा हुआ सोमवार को जब बुद्विजीवी कहे जाने वाले शिक्षक तबके ने सरकार एक फैसले के विरोध में एक बैनर तले आकर जबरदस्त प्रदर्शन किया और वह फैसला था आनलाइन हाजिरी का। इस मुद्दे पर शिक्षकों के लगभग सारे संगठन एक दिखे और एक स्वर में सरकार के इस फैसले का विरोध किया। आनलाइन हाजिरी के विरोध में सोमवार को जनपद के कुंवर सिंह पार्क में शिक्षकों का सैलाब उमड़ पड़ा। जिले का कोई भी ब्लाक नही बचा जिससे शिक्षक व शिक्षिकायें न पहुंची हों। प्रशासन को फोर्स लगानी पड़ी, प्रशासनिक अधिकारियों ने शिक्षक नेताओं की माइक बंद करवा दी लेकिन शिक्षकों के हौसलों को वह तोड़ नही सके, शिक्षकों ने जुलूस निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।  उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक काफी दिनों से अपने विभाग के आला अधिकारियों के मनमाने फैसले से तंग चल रहे हैं, कभी चिलचिलाती गर्मी में समर कैंप लगाने का आदेश तो, कभी कांवर यात्रा में ड्युटी, तो कभी ...

लोकार्पित हुई “जमीन पर उतरी कविता“ और “माजी के मजार“

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बीसवीं शताब्दी के प्रतिनिधि लेखक हैं हरिशंकर परसाई: डा. आशीष परसाई जी के जन्मशती पर आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी आजमगढ़। जनपद के उत्तरी छोर पर स्थित श्री रामानंद सरस्वती पुस्तकालय जोकहरा में बुधवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी, नई पुस्तकों के लोकार्पण सहित कई कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमे देश के हिंदी साहित्य के कई विद्वानों ने प्रतिभाग कि या अपने वक्तव्य दिये तथा प्रगतिशील लेखक संघ की सार्थकता को जीवंत किया | गतिशील लेखक संघ आजमगढ़ व श्री रामानंद सरस्वती पुस्तकालय जोकहरा के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को “स्मरण - हरिशंकर परसाई” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व प्रख्यात साहित्यकार विभूति नारायण राय की अध्यक्षता में प्रारंभ हुई। संगोठी से पूर्व कवि आलोचक व गांधी पी जी कालेज मालटारी विभागाध्यक्ष डा. हसीन खान की पुस्तक “जमीन पर उतरी कविता“ व सैयद सिब्ते हसन द्वारा लिखित व डा. फिदा हुसैन द्वारा अनुदित ”माजी के मजार” का लोकार्पण देश के जाने माने साहित्यकारों जिनमें प्रमुख रूप से विभूति नारायण राय, डा. आशीष त्रिपाठी, प्रियदर्शन मालवीय, रघ...

देवी

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ऐसा क्यों होता है तिवारी सर, कि आदमी जिसके लिये पूरी दुनिया छोड़ देता हैे वही उसको छोड़ देता है। क्या प्रेम में किसी से वफा की उम्मीद नही की जा सकती है ? साथ ही नौकरी करने वाले आकाश ने तिवारी सर से सीधे पूछ लिया तिवारी जी ने हंसते हुये कहा यार, आकाश प्रेम उन्ही को होता है जो बेवकूफ बनने के लिये तैयार रहते हैं।  आकाश सवालों की बौछार लगाये हुये था तिवारी सर, क्या कोई हम लोगों के दिल को समझेगा ? ऐसा क्यों होता है तिवारी सर कि सब जाकर अपनी दुनिया में मस्त हो जाते हैं, और आपको ऐसे इग्नोर किया जाता है जैसे आप उनके लियेे लिये कभी कुछ थे ही नही। ऐसा क्यों होता है, सर बस मुझको इतनी बात समझा दीजिये। टूटन के दर्द से जूझते आकाश के सवालों पर तिवारी सर ने कहा यार, आकाश इन्ही सवालों का जवाब तो मैं भी ढूंढ रहा हूं। आकाश ने कहा सर जानते हैं जिस दिन उनकी शादी होती है वो उस दिन पलट कर आपको देखती तक नही है, जैसे लगता है कि आप ही उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं, आखिर ऐसा क्यों तिवारी सर ? तिवारी सर आकाश के सवालों का कुछ जवाब देते उसके पहले ही आकाश बोल पड़ा सारे रिश्ते नाते तोड़कर ऐसे इग्नोर किया जाता है जैसे आप उ...