ऐसा क्यों होता है तिवारी सर, कि आदमी जिसके लिये पूरी दुनिया छोड़ देता हैे वही उसको छोड़ देता है। क्या प्रेम में किसी से वफा की उम्मीद नही की जा सकती है ? साथ ही नौकरी करने वाले आकाश ने तिवारी सर से सीधे पूछ लिया तिवारी जी ने हंसते हुये कहा यार, आकाश प्रेम उन्ही को होता है जो बेवकूफ बनने के लिये तैयार रहते हैं।
आकाश सवालों की बौछार लगाये हुये था तिवारी सर, क्या कोई हम लोगों के दिल को समझेगा ? ऐसा क्यों होता है तिवारी सर कि सब जाकर अपनी दुनिया में मस्त हो जाते हैं, और आपको ऐसे इग्नोर किया जाता है जैसे आप उनके लियेे लिये कभी कुछ थे ही नही। ऐसा क्यों होता है, सर बस मुझको इतनी बात समझा दीजिये। टूटन के दर्द से जूझते आकाश के सवालों पर तिवारी सर ने कहा यार, आकाश इन्ही सवालों का जवाब तो मैं भी ढूंढ रहा हूं। आकाश ने कहा सर जानते हैं जिस दिन उनकी शादी होती है वो उस दिन पलट कर आपको देखती तक नही है, जैसे लगता है कि आप ही उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं, आखिर ऐसा क्यों तिवारी सर ? तिवारी सर आकाश के सवालों का कुछ जवाब देते उसके पहले ही आकाश बोल पड़ा सारे रिश्ते नाते तोड़कर ऐसे इग्नोर किया जाता है जैसे आप उसके लिये कुछ हैं ही नहीं, आपके सारे अधिकार आज से खत्म ऐसा क्यों होता है तिवारी सर? तिवारी सर ने अपना माथा पकड़ लिया उन्होने बात को घुमाने की गरज से कहा यार, आकाश तुम मेरी कहानियां नहीं पढ़ते क्या ? पढ़ लिया करो, हो सके कि तुम्हारे सारे सवालों का जवाब उनमंे मिल जाया करें। आकाश ने कहा सर; क्या कहानियां पढ़ूं जिंदगी तो खुद कहानी हो गयी है, सारे अनुभव प्रत्यक्ष हो रहे हैं। आकाश ने फिर कहा सर, शादी विवाह होने के बाद कोई ऐसे क्यूं बदल जाता है, ससुराल से आने के बाद वो अजनबियांे की तरह क्यों मिलता है, उसके आने की खबर सुनकर भागते हुये जाओ तो वो सबके बीच महफिल मंे मिलता है जबकि वही शख्स शादी से पहले कितना ही बड़ा जलसा क्यों न हो, घर में मेंहमानों की भीड़ खचाखच भरी हो, मिलने का कोई न कोई रास्ता निकालकर मिल ही लेता था। ऐसा क्यों होता है ? तिवारी सर, तिवारी सर कुछ कहते आकाश ने फिर कहा सर जानते हैं शादी के बाद वो मुझसे ऐसे मिली कि मैं बस दूर से ही उसे देख सका, मतलब इतनी दूर से कि उसकी उंगली तक नही छू सकता और एक जमाना था कि “मुझे कभी छोड़ेंगें तो नही न आप, और कैसे जियूंगी आपके बगैर कहते हुये कलेजे से मोम की तरह ऐसे चिपक जाती थी कि बदन से अलग हो तो उतनी दूर की चमड़ी उघड़ जाये। ऐसा क्यों होता है तिवारी सर। जानते हैं तिवारी सर, जब से वो आई है तब से मैं उससे दो बार मिलने के लिये गया, वैसे ही जैसे प्रेम में विह्वहल होकर आदमी अर्ध मुर्छा की स्थिति में इधर-उधर भटकता है। उसे न तो अपनी स्थिति और न ही मान मर्यादा का ध्यान रहता है कुछ वैसी ही स्थिति मेरी थी तिवारी सर, मतलब एक कुत्ते से भी बदतर स्थिति मेरी थी, सर मैं भाग के उसके पास गया, लेकिन हाय रे ! उसके हृदय की निष्ठुरता उसने मुझे ऐसी निगाहों से देखा जैसे मै न जाने कहां से आया कौन सा अजनबी हूं, उसके न तो आंखों में चमक थी न तो उसके ओठों पर मुस्कुराहट आई और न तो उसके ओठ कांपे कि वो मुझसे कुछ बोले। तिवारी सर एक बात जानते हैं आप पंडित बाबाओं ने जो शादी विवाह के मंतर बनायें हैं बहुत अत्याचार किये हैं हम लोगों पर, तिवारी बाबा, ई मंतरवा अइसे हैं केवल स्त्रियांे पर ही असर करते हैं, और बहुत तगड़ें में असर करते हैं। सर इन मंत्रों का ही असर है कि उसने मुझे पागल बनाकर छोड़ दिया। एक बात और तिवारी बाबा मेरा अनुभव है कि ये मंत्र पुरूषों पर असर नही करते। तिवारी सर आकाश के प्रश्नों पर अब विचलित होते जा रहे थे तिवारी सर ने कहा कि यार, आकाश ऐसा क्यों होता है स्त्री ऐसा व्यवहार क्यों करती है इसका जवाब देने में तो देवता असमर्थ रहे हैं “त्रिया चरित्रम् देवो न जानपि कुतो मनुष्य; “ फिर हम आदमियों की क्या विसात एक स्त्री के व्यवहार और चरित्र को समझ सकें। आकाश ने कहा सर, जानते हैं अपनी बीबी के सामने आदमी कैसे शेर की तरह रहता है लेकिन प्रेमिका के सामने तो उसकी औकात कुत्ते से भी बदतर हो जाती है, ऐसा क्यों होता है तिवारी सर। अब तो तिवारी सर अपने सर के बाल नोच रहे थे, उन्होने कहा आकाश इतना मत सोचो नही तो डिप्रेशन में चले जाओगे। सर, आप डिप्रेशन में जाने की बात कर रहे हैं इधर तो जिंदगी ही दाव पर लगी है। आकाश ने कहा सर जानते हैं, पत्नी जरा सा भी बात न माने या पति के मन वाली न करे तो पति उसे ऐसे झिड़कता है जैसे उसका कोई वजूद न हो और उस बेचारी का पूरा दिन पति देव को मनाते हुये गुजर जाता है। सबसे पहली नाराजगी तो भोजन पर हो जाती है पति देव खाना खाना छोड़ देते हैं, पत्नी मनाते-मनाते थक जाती है, लेकिन क्या मजाल देवता के शान में कोई कमी आये जब तक पत्नी के आंखों से आसूंओं की जलधारा न फूटे पति देव के कलेजे में ठंडक नही पहुंचतीे। दूसरी ओर रूठी प्रेमिका को मनाने के लिये आदमी सब कुछ छोड़ने से जरा भी गुरेज नही करता देश, दुनिया, मान मर्यादा, बीबी, बच्चे, धन दौलत सब यह जानते हुये भी कि वह जिसे दिलो जान से चाह रहा एक दिन उसे ढेरों दुख दर्द देकर चली जायेगी किसी की पत्नी बनने, ऐसा क्यों होता है तिवारी सर, आदमी इतना बेवकूफ कैसे हो सकता है, उसके पीछे कोई और दौड़ रहा है और वह किसी और को पाने के लिये दौड़ लगा रहा है। आखिर स्त्री को पत्नी बनने की आतुरता क्यों होती है, वह जिसकी पत्नी बनने जा रही है उसके पीछे वह अस्तित्वविहीन बनकर घूमेगी, जिसके घर की झाड़ू बरतन, से लेकर टायलेट तक साफ करने से गुरेज नही करती वह जिसको अपना देवता मानकर अपना सर्वस्व अर्पित करने को लालायित रहती है वह पुरूष कितना नैतिक होगा इस बात पर एक स्त्री क्यों नही विचार करती है, आखिर वो क्यों इसी नियम को सत्य माने हुये है कि ”भला है बुरा जैसा भी है मेरा पति मेरा देवता है”। जिस पति के लिये वो अपने प्रेमी को छोड़ रही हैं क्या वो किसी स्त्री के प्रेम में नही पड़ा होगा लेकिन उस जूठे पति के लिये गजब की नैतिकता दिखाती हैं स्त्रियां ऐसा क्यों होता है तिवारी सर ? अब तो तिवारी सर को लगने लगा कि आकाश की दिमागी हालत ठीक नही है, उन्होने आकाश को समझाते हुये कहा आकाश भाई ये कहां प्यार व्यार के चक्कर में पड़ गये हैं, अब आप घर जाइये, दवा खाकर आराम से सो जाइये। आकाश ने कहा तिवारी सर मेरे पास तो कोई सहारा नही रह गया, वह चली गई लेकिन मैं उसकी दी हुई कसम को आज भी पालन कर रहा हूं। आकाश ने कहा जानते हैं तिवारी सर मैं जब सरकारी नौकरी पाया तो मन में यह सपना था कि इससे बड़ी नौकरी में जाऊंगा, कापी किताब लेकर तैयारी में जुटा ही था कि मेरी लाइफ में मेरे प्यार की इंट्री हो गई, उसका जीवन बनाते-बनाते खुद का जीवन कब बिगड़ गया पता ही नही चला। पूरा जीवन उसका जीवन संवारने में होम हो गया, मेरी कितनी इज्जत थी तिवारी सर, क्या फ्रेंड सर्किल थी जो चाहता था समाज में सब होता था, लेकिन सब कुछ न जाने कहां गायब हो गया। कब सारी प्राथमिकतायें गौण हो गयी समझ नही सका। उसकी एक कॉल आ जाय तो आदमी एक खुजली वाले कुत्ते की तरह एकांत ढूढने लगता था, जैसे खुजली वाला कुत्ता अंधेरी जगह और एकांत ढूंढता है ठीक वही हालत होती है। अब तिवारी सर बेचैन हो चुके थे क्या आकाश की बातें पूरी तरह निरर्थक थीं ? या वह यथार्थ से सनी पगी बातें कह रहा था। तिवारी जी ने कहा आकाश परेशान न हो धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा, “वक्त हर जख्म को भर देता है”। आकाश नेे कहा तिवारी सर, हम उनकी याद में मर रहे हैं और उनका सब कुछ अच्छा चल रहा है, जिस दिन से उनकी शादी तय होती है न तिवारी सर ये उसी दिन से वे बदल जाती हैं लेकिन एहसास नही होने देती तिवारी सर, वो अंतिम क्षण तक आपका उपयोग करती हैं फिर एक दिन ढेर सारी दिलासायें देकर ठगा सा छोड़कर रवाना हो जाती हैं। तिवारी जी केवल “हामी” भरकर रह गये वो आकाश को एकटक निहार रहे थे आकाश ने कहा तिवारी सर घर की बीबी के कमरे को छोड़कर मैं बाहर कुटिया में सोता हूं, वो कहती है आज आप दूध नही पियेंगे क्या, दूध पी लिजिये और फिर जहां सोने जाना हो, जाकर सो जाईयेगा, कितना समर्पण है उनका, उनको सब एहसास है लेकिन वो एक जबान नही बोलती वो स्त्री ही क्या जो मर्द की नजर और उसकी हालत न जान ले। तिवारी सर, हम लोग की बीबीयां देवी हैं, देवी लेकिन हम लोग उनकी कद्र नही करते। तिवारी सर ने जैसे ही आकाश के मुंह से देवी वाली बात सुनी उनकी आंखें चमक उंठी उन्होने कहा आकाश यही बात है जो तुम समझ नही पा रहे हो यह युगों -युगों से चला आ रहा है आदमी की एक ही चाहत है कि वो किसी तरह देवता बन जाये और स्त्रियों की चाहत है कि वो देवियां बन जायें। लाल सिंदूर, लाल चूड़ी, लाल बिंदी, लाल साड़ी, गले में मंगलसूत्र और चुनरी ओढ़कर सजी धजी किसी स्त्री का यह पहनावा बस इसलिये है कि वो देवी जैसी दिखें, दिखती भी हैं। देवी बनने की लालसा में प्रेमी को तो क्या वो तीनो तिरलोक में किसी को भी छोड़ सकती हैं। तिवारी जी ने आगे कहा चाहे उन्हे पति के घर की टायलेट साफ करनी हो या झाड़ू, बरतन, पोछा, सब करेंगी लेकिन उनसे उनका देवी का होने का दर्जा मत छीनो। जानते हो आकाश देवियां दूर से दर्शन करने के लिये होती हैं छूने के लिये नही होती, तुम अपने प्यार को देवी मानो और एक पुजारी की तरह से उसे पूजो उसकी मर्जी तुम्हारे पास आये या न आये। तिवारी सर ने कहा आकाश ये बात गांठ बांध लो प्रेम स्वतंत्रता देता है, गुलाम नही बनाता बशर्ते वो प्रेम हो, तुम तो प्र्रेम कर रहे प्रत्युत्तर में अगर प्रेम की आशा कर रहे तो ये प्रेम नही व्यापार है। यह आशा ही व्यर्थ है और तुम्हारे दुखों का कारण है।
जानते हो आकाश......
कुछ देकर कुछ पाने की अभिलाषा है व्यापार
सर्वस्व लुटा दे मानव जिसमें कहते उसको प्यार
अगर तुमको यह दर्शन की बातें नही समझ में आ रही तो तुम विज्ञान के हिसाब से ही समझ लो और वैसे भी आकाश तुम तो विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी हो और मैं भी थोड़ा बहुत विज्ञान पढ़ा ही हूं, कक्षा 10 में अब पढ़ाया जाता है विद्युत रासायनिक श्रेणी, जैसे कोई रासायनिक अभिक्रिया में कोई तत्व जिंक से क्रिया कर रहे वहीं अगर उससे ताकतवर चांदी आ गया तो वो जिंक को छोड़ चांदी से क्रिया कर लेता, अगर सोना आ जाय तो अब वह चांदी को छोड़ सोने से क्रिया कर लेता है, यही हाल है स्त्रियों का है तुमसे अच्छा कोई उसे मिल गया उसने तुमको छोड़ ं दिया। तुम उस विद्युत रासायनिक श्रेणी के निचले पद के धातु हो और यह दोष तुम्हारा नही है और यह बात तुम खुद पर भी लागू कर सकते हो तुम जिसे आज प्रेम कर रहे हो जिसके लिये पागल हुये हो उससे सुंदर कोई स्त्री तुम्हारे जीवन मे अभी आ जाय तो क्या तुम उसको स्वीकारोगे नही। तिवारी सर ने मुस्कुराते हुये कहा एक शेर सुनो आकाश
या खुदा गजब तेरी खुदाई है
नया दर्द ही पुराने की दवाई है ।
तुम उसे फिर स्वीकारोगो और यही क्रम चलता रहेगा। यह क्रम आजीवन तब तक चलेगा जब तक शरीर तुम्हारा अशक्त न हो जाय, की सारी लालसायें समाप्त न हो जायं। आकाश अब शांत हो चला था वह मन ही मन बुदबुदाते हुये कि देवियां मात्र पूजने के लिये हैं पाने के लिये नही अपने घर के लिये चल दिया तिवारी बाबा ने एक गहरी और राहत भरी सांस ली।
(प्रदीप तिवारी)