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तमसा तीर निवासु किय प्रथम दिवस रघुनाथ

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  प्रभु श्री राम में रचा बसा आजमगढ़ का जनमानस सरयू, तमसा, प्रथम देव व दोहरीघाट जैसे पौराणिक स्थल कराते हैं प्रभु श्री राम की अनुभूति आजमगढ़ । पूरा देश आज रामनवमी का पर्व हर्षोल्लास से मना रहा है। आजमगढ़ का जनपद इस तरह से बसा ही हुआ है कि राम-राम की प्रतिध्वनि इसके कण-कण से सुनाई देती है। पहली बार प्रदेश  में ऐसा हो रहा है कि कोई मंदिर नही बचा जहां रामनवमी के अवसर पर भजन किर्तन, रामचरित मानस पाठ आदि न आयोजित किये जा रहे हों। तमसा, सरयू प्रथम देव तथा दोहरीघाट आदि पौराणिक स्थल मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम की अनुभूति तो कराते ही रहते हैं, परंतु पहली बार ऐसा हो रहा है कि हिंदु जनमानस की आस्था का सागर हिलोरे ले रहा है।  जनपद के पौराणिक नदी तमसा की बात करते हैं बाल्मिकी रामायण हो या फिर गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस सब में यह वर्णन है कि वन जाते समय भगवान राम का प्रथम निवास तमसा तट ही था और पूरा आजमगढ़ तमसा के तट पर ही बसा है। गोस्वामी तुलसीदास रामचरित मानस के अयोध्याकांड में दोहा संख्या 84 में यह लिखकर कि  बालक वृद्ध बिहाइ गृहं लगे लोग सब साथ। तमसा तीर निवासु किय प्र...