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जिन पर बचाने की जिम्मेदारी वही बने सौदागर

  प़त्रकार, अधिकारी, राजनेता सब है विदेशी पक्षियों  के मांस के शौकीन    अस्तित्वविहीन हो रहा सगड़ी का ताल सलोना    कभी पर्यावरण मंत्री ने देखा था पक्षी विहार बनाने का सपना    आजमगढ़। सगड़ी तहसील के आसपास के गांवों मे एक किस्सा मशहूर है अगर जाड़े में मेंहमानों की खातिरदारी में  चिड़ियां नही खिलाये तो क्या खिलाये ? जी हां ललसर, टिकवा, न जाने कितने प्रकार के विदेशी पक्षी जिंदा ही केवल उनके पंख तोड़कर बेचे जाते हैं। पूरी रात जाल मे फंसे विदेशी मेहमान जिन्हे शिकारी फंदा कहते की दर्दभरी चीखों से ताल की नीरवता भंग होती रहती तब तक जब तक शिकारी उन्हे फंदे से निकाल उनके पंख तोड़ ठिकाने नही लगा देते। स्वाद व गर्म गोस्त और चंद सिक्कों की चाहत ने पूरे ताल सलोना की जैव विविधता को नष्ट करके रख दिया है अब विदेशी पक्षियों व विविध प्रकार की जीवों व वनस्पतियों की आरामगाह नही वरन शौकीनों की शिकारगाह बन गई है। यह वही स्थान है जिसकी जैविक विविधता को देखकर पूर्व पर्यावरण मंत्री स्व़ रामप्यारे सिंह ने इसे पक्षी विहार बनाने का सपना देखा था। उनकी बहु वंदना सिंह का पांच ...