आजादी का अमृत महोत्सव: कुछ याद उन्हे भी कर लो ..........
.आजमगढ़ जनपद के उत्तरी छोर पर स्थित सगड़ी तहसील की मिट्टी की तासीर ही ऐसी रही है कि यहां समय- समय पर ऐसे रण बांकुरे होते रहे हैं जिन्होने अपनी जान देकर भारत माता की अस्मिता की रक्षा की। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद व्यवसाई बंधु गोगा साव व भीखी साव रहे हों या फिर वीर चक्र विजेता शहीद सौदागर सिंह या कारगिल युद्ध में युद्ध की समाप्ति के उपरांत चलाये गये आपरेश विजय में दुर्गम चोटी 5685 पर अप्रतीम शौर्य का प्रदर्शन करने वाले मेंशन इन डिस्पैच वीर रामसमुझ यादव, एक से बढ़कर एक र्शोर्य गाथायें न केवल रोमांचित कर देेती हैं वरन देश भक्ति की भावना से सराबोर कर देती हैं- गोगा साव व भीखी साव आजमगढ़ जनपद का जब- जब इतिहास लिखा जायेगा आजादी के परवाने गोगा साव व भीखी साव का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। गोगा साव व भीखी साव का तत्कालीन अजमतगढ़ स्टेट में खांडसारी का बड़ा कारखाना था। इनके यहां बनी देशी चीनी व गुड़ ताल सलोना के रास्ते छोटी सरयू फिर घाघरा, गंगा नदी से जलमार्ग द्वारा कलकत्ता जाता था जो कि देश की राजधानी थी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के सिंह कहे जाने वाले वीर कुंवर ंिसंह ने अंग्...