आचार्य चंद्रबली पांडेय
आज आचार्य पं0 चन्द्रबली पाण्डेय की पुण्यतिथि है। हिन्दी के लिए आजीवन संघर्षरत रहने वाले उस मनीषी ने ही एक ऐसा वातावरण तैयार किया था जिसके फलस्वरूप हिन्दी आज राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन है। हिन्दी के लिए उनके मन में कितना प्रेम था, उनके इस कथन से जाना जा सकता है। 'मुझे विश्वास है कि जिस प्रकार महावीर के रोम रोम में राम का नाम अंकित था, मेरे जीवन के क्षण क्षण में हिन्दी की लगन की भावना निहित है।' पाण्डेय जी बहुत सादगीपसंद व्यक्ति थे। साधारण बनियान, देशी कुर्ता, धोती यही उनकी वेशभूषा थी। जूता नहीं पहनते थे। अग्नि में पकी हुई वस्तु का सेवन नहीं करते थे। वे केवल भिगोया हुआ चना, गेहूँ और कुछ कच्चे पके फल खाकर जीवन व्यतीत करते थे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1931ई0में एम0ए0(हिन्दी) की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात डी लिट के लिए स्वीकृत विषय, सूफी साहित्य 'पर विशेष अध्ययन किया और इस पर लगभग कार्य भी पूरा किया जा चुका था किन्तु उस समय की व्यवस्था के अनुरूप उनसे शोध प्रबंध अंग्रेजी में प्रस्तुत करने को कहा गया, जिसे उन्होंने राष्ट्रभाषा का अपमान बताते हुए ठुकरा दिया। वह आचार्य पं0रामचन...