संदेश

2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सरयू के नीर में विलीन हो अमर हुये पंडित अमरनाथ

चित्र
वरिष्ठ पत्रकार अमरनाथ तिवारी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि शव यात्रा me टूटी दलीय सीमायें आजमगढ़। वरिष्ठ पत्रकार व वयोवृद्ध समाजसेवी पंडित अमरनाथ तिवारी को पूरे जनपद ने गुरूवार को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। शवयात्रा में दलीय सीमायें टूट  गई। आजमगढ़ स्थित उनके आवास व सगड़ी तहसील के खपरैला गांव में शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। जीयनपुर नगर पंचायत मे बाजार वासियों व पत्रकार जनों ने उन्हे पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी शवयात्रा को विदा किया।  पंडित अमरनाथ तिवारी जनपद के प्रतिष्ठित स्मिथ इंटर कालेज अजमतगढ़ के प्रधानाचार्य रहे इनके अतिरिक्त उनकी ख्याति आजमगढ़ जनपद के इतिहासकार के रूप में रही। सरयू नीरे तमसा तीरे उनकी प्रसिद्व पुस्तक रही इसके अतिरिक्त पंडित जी ने कपोत नामक पत्रिका का संपादन भी किया। वह लंबे समय तक पीटीआई, अमृत प्रभात व नार्दन इंडिया टाइम्स से जुडे रहे। ग्रामीण अंचल से लेकर जनपद व प्रदेश स्तरीय पत्रकारिता में उनका कोई जोड़ नही था, उनके चाहने वाले हजारों की संख्या में है। पत्रकारिता के दौरान पडित जी ने कभी मूल्यों से समझौता नही किया। अपनी सरलता व सहजता की वजह से व...

अपने कर्मस्थली में उपेक्षित हो गये मुंशी नर्वदेश्वर लाल

चित्र
 रंग रोगन को तरस रही प्रतिमा,पार्क का अस्तित्व हुआ नष्ट  नगर पंचायत की उदासीनता से लगा गंदगी का ढेर  आजमगढ़ जनपद की सगड़ी विधानसभा को अपनी कर्मस्थली बना जनता जनार्दन की सेवा करने वाले महान साम्यवादी नेता मुंशी नर्वदेश्वर लाल अपनी कर्मस्थली में इस कदर उपेक्षित हुये कि उनकी एकमात्र निशानी उनकी प्रतिमा आज जीर्ण शीर्ण पड़ी हुई और वह पार्क जहां वह स्थापित है अपने अस्तित्व को खो चुका है। जीयनपुर नगर पंचायत ने उस पार्क की जमीन पर शौचालय बनवाकर हालत को बद से बदतर बना दिया है। गंदगी का ढेर बदबू और सड़ांध की वजह से अब उस स्थान की ओर कोई देखना तक पसंद नही करता।    तत्कालीन आजमगढ़ वर्तमान मऊ के घोसी तहसील के भटमिल्ला गांव निवासी कामरेड मुंशी नर्वदेश्वर लाल श्रीवास्तव का जन्म वर्ष 1932 में हुआ । उन्होने घाघरा की मार से पीड़ित व राजनैतिक रूप से उपेक्षित सगड़ी विधानसभा को अपनी कर्मस्थली बनाया और नगर पंचायत जीयनपुर में निवास करने लगे। कामरेड मुंशी नर्वदेश्वर लाल हमेशा पीड़ितों, मजलूमों के अधिकारों के लिये संघर्ष करते रहे। कोई भी फरियादी उनके दरवाजे से निराश होकर नही गया। वो हर जरूरत मं...

आजादी का अमृत महोत्सव: कुछ याद उन्हे भी कर लो ..........

.आजमगढ़ जनपद के उत्तरी छोर पर स्थित सगड़ी तहसील की मिट्टी की तासीर ही ऐसी रही है कि यहां समय- समय पर ऐसे रण बांकुरे होते रहे हैं जिन्होने अपनी जान देकर भारत माता की अस्मिता की रक्षा की। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद व्यवसाई बंधु गोगा साव व भीखी साव रहे हों या फिर वीर चक्र विजेता शहीद सौदागर सिंह या कारगिल युद्ध में युद्ध की समाप्ति के उपरांत चलाये गये आपरेश विजय में दुर्गम चोटी 5685 पर अप्रतीम शौर्य का प्रदर्शन करने वाले मेंशन इन डिस्पैच वीर रामसमुझ यादव, एक से बढ़कर एक र्शोर्य गाथायें न केवल रोमांचित कर देेती हैं वरन देश भक्ति की भावना से सराबोर कर देती हैं- गोगा साव व भीखी साव आजमगढ़ जनपद का जब- जब इतिहास लिखा जायेगा आजादी के परवाने गोगा साव व भीखी साव का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। गोगा साव व भीखी साव का तत्कालीन अजमतगढ़ स्टेट में खांडसारी का बड़ा कारखाना था। इनके यहां बनी देशी चीनी व गुड़ ताल सलोना के रास्ते छोटी सरयू फिर घाघरा, गंगा नदी से जलमार्ग द्वारा कलकत्ता जाता था जो कि देश की राजधानी थी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के सिंह कहे जाने वाले वीर कुंवर ंिसंह ने अंग्...

शिक्षा से ही मिटेंगी दिलों के बीच की दूरियां: मनोज

चित्र
 कैरियर फांउडेशन एकेडमी का हुआ  उद्घाटन  सगड़ी। सगड़ी तहसील के अंजानशहीद में छत्तरपुर खुशहाल मोड़ पर एक शिक्षण संस्थान कैरियर फांउडेशन एकेडमी का उद्घाटन करते हुये वालीवुड के प्रख्यात गीतकार मनोज यादव ने कहा कि शिक्षा आज के समाज की पहली जरूरत बननी चाहिये। यही वह जरिया है जिससे समाज को लोगों के बीच दिलों की दूरियां है उसे मिटाया जा सकेगा।  सगड़ी क्षेत्र के कुछ पढ़े लिखेे नौजवानो ने एक समूह बनाकर ऐसे बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है जो अच्छी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। बुधवार को प्रसिद्ध गीतकार मनोज यादव ने कैरियर फाउंडेशन एकेडमी का फीता काटकर उद्घाटन किया तथा इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुये कहा कि शिक्षा  वह दीपक है जो जलता है तो न जाने कितने घर रौशन होते हैं। उन्होने कहा कि सिर्फ नौकरी के लिये पढ़ाई नही होनी चाहिये एक पढ़ा लिखा आदमी कोई भी कार्य करेगा तो उसमें कुछ अच्छा ही करेगा। इस अवसर पर प्रमोद यादव, राकेश यादव, सदानंद़, अमरजीत , रातुल कुमार यादव, दयाराम यादव, राहुल, बुधिराम, अभिषेक यादव, रामरूप, अवनीश, योगेंद्र, भृगु सा...

हाफ लेमन रेडियो: जिंदगी के स्टेशन का यही पता है

चित्र
अमरूदों के बाग वाले हथिया गांव की बदलेगी पहचान लांच हुआ आजमगढ़ शहर का पहला रेडियो स्टेशन आजमगढ़ जनपद मुख्यालय से सटा हुआ तमसा के पार का हथिया गांव जिस तक पहुंचने के लिये कभी 18 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था। एक पुल बनता है और बदलने लगती है सूरत। कभी हथिया गांव अपने अमरूद के बाग और ताड़ के पेड़ों में पलते जरायम की दुनिया के लिये जाना जाता था अब इसी हथिया गांव से संगीत भरी सुबह और गुनगुनाती शाम के तराने फिजा में गूजेंगे। भारतेंदु ह्युमन केयर डेवलेपमेंट सोसाईटी के तत्वाधान में आजमगढ़ हथिया गांव की पहचान बदलने की शुरूआत मंगलवार को समाजसेवी डा.भरत लाल के कर कमलों से हुई जब उन्होंने हाफ लेमन रेडियो स्टेशन का फीता काटा। ‘जिन्दगी के स्टेशन का यही पता है’ श्लोगन के बीज मंत्र के साथ खुशनुमा जिन्दगी के पाठ पढ़ाते रेडियो जॉकी मंगलवार को अपने काम में तल्लीन नजर आये। एफएम चैनल की सारी खूबियां समेटे यह कम्युनिटी रेडियो स्टेशन संगीत प्रेमियों के लिए कई उपहार लेकर आया है। साहित्य और संस्कृति की धरती आजमगढ़ की यह शुरूआत कई मायने में अनूठी है। टेक्निकल हेड शिवम चतुर्वेदी बताते हैं कि यह पूरी तरीके से इंटरटेनम...

घाव देते हैं और मरहम की बात करते हैं

  शहर में रहते हैं और गावों की बात करते हैं  पेड़ काटते हैं और छांवों की बात करते हैं। रिश्ता  इनसे रखे भी तो कोई कैसे रखें घाव देते हैं और मरहम की बात करते हैं हर जगह ऐसे लोगों का हुजूम है दोस्त जो निवाले छीनते हैं और रोटियों की बात करते हैं दिख जाएंगे ये लोग कहीं न कहीं भीड़ में आबरू लूटते हैं और इज्जत की बात करते हैं। प्रदीप तिवारी

आचार्य चंद्रबली पांडेय

आज आचार्य पं0 चन्द्रबली पाण्डेय की पुण्यतिथि है। हिन्दी के लिए आजीवन संघर्षरत रहने वाले उस मनीषी ने ही एक ऐसा वातावरण तैयार किया था जिसके फलस्वरूप हिन्दी आज राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन है। हिन्दी के लिए उनके मन में कितना प्रेम था, उनके इस कथन से जाना जा सकता है। 'मुझे विश्वास है कि जिस प्रकार महावीर के रोम रोम में राम का नाम अंकित था, मेरे जीवन के क्षण क्षण में हिन्दी की लगन की भावना निहित है।' पाण्डेय जी बहुत सादगीपसंद व्यक्ति थे। साधारण बनियान, देशी कुर्ता, धोती यही उनकी वेशभूषा थी। जूता नहीं पहनते थे। अग्नि में पकी हुई वस्तु का सेवन नहीं करते थे। वे केवल भिगोया हुआ चना, गेहूँ और कुछ कच्चे पके फल खाकर जीवन व्यतीत करते थे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1931ई0में एम0ए0(हिन्दी) की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात डी लिट के लिए स्वीकृत विषय, सूफी साहित्य 'पर विशेष अध्ययन किया और इस पर लगभग कार्य भी पूरा किया जा चुका था किन्तु उस समय की व्यवस्था के अनुरूप उनसे शोध प्रबंध अंग्रेजी में प्रस्तुत करने को कहा गया, जिसे उन्होंने राष्ट्रभाषा का अपमान बताते हुए ठुकरा दिया। वह आचार्य पं0रामचन...

कहानी आचार्य केशव चंद्र सेन की

  https://youtu.be/paf65WW_-ZY राजा राममोहन राय ने 1828 में ब्रह्म सभा गठन किया जो आगे चलकर के 1830 में ब्रह्म समाज में परिवर्तित हो गया।अ द्वितीय ने1830 में अपनी पेंशन की समस्या के समाधान करने के लिए राजा राम मोहन राय को 'राजा' की उपाधि देकर के विलियम चतुर्थ के दरबार में इंग्लैंड भेजा। सत्येंद्र नाथ मजूमदार के अनुसार वे प्रथम हिंदू थे जो बिलायत गए। इंग्लैंड में ही 27 सितंबर 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई और ब्रिस्टल इंग्लैंड में उनकी समाधि है । उनकी मृत्यु के पश्चात  ब्रम्ह समाज के सह संस्थापक रहे उद्योगपति द्वारिका नाथ टैगोर ने ब्रह्म समाज का कार्यभार संभाला यह रविंद्र नाथ टैगोर के दादाजी थे । 1846 तक ब्रह्म समाज से जुड़े रहे।  द्वारिका नाथ टैगोर के बेटे देवेंद्र नाथ टैगोर 1839 में तत्वबोधिनी सभा की स्थापना करके समाज सुधार का कार्य कर रहे थे । देवेंद्र नाथ टैगोर, गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के पिता थे 1843 में ब्रह्म समाज की बागडोर देवेंद्र नाथ टैगोर के हाथों में आ गई और उन्होंने ब्रह्म समाज का पुनर्गठन किया विधवा पुनर्विवाह, बहुविवाह उन्मूलन,  नारी शिक्षा ...