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मार्च, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वरासत

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                  शेखपुर यही उस गांव का नाम था। नाम के अनुसार शेख तो थे नही लेकिन गांव में हर कोई हसी खुशी रहता था। गांव के कुछ लोग बाहर भी जाकर कमाई करते थे और कुछ गांव में रहकर खेती बारी। इसी गांव में रामजियावन का भी परिवार रहता था। रामजियावन को समय से पहले ही यमराज ने याद कर लिया, घर में रह गयी उनकी बेवा बुधिया। बुधिया और रामजियावन के दो बेटे हुए, गरीबी में ही सही बुधिया ने अपने  दोनो बेटे प्रेम और उमेश को बड़े जतन से पाला। प्रेम बड़ा था, और उमेश छोटा। दोनो भाईयों में बहुत प्रेम था शायद यह उस गरीबी का प्रभाव था जो बुधिया और उसके दोनो बेटों ने झेेला था। घर का बड़ा होने के कारण प्रेम के उपर जिम्मेदारियों का बोझ अधिक था। गांव की कमाई से खर्च नही चला तो प्रेम ने परदेश की राह पकड़ी। घर में माता की देखभाल के लिए उमेश था। दिन बीतते चले गये प्रेम की भी शादी हो गयी और कुछ दिनों के बाद उमेश की भी। प्रेम परदेश गया तो जरूर लेकिन गांव से नाता बनाये रखा। छोटके उमेश का वह बराबर ध्यान रखा, प्रेम की मेहरारू मेवाती ने भी सास और अपनी देवरान फूलमती को ...

जमानत

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                वकील साहब! इसका भी कुछ भला करिये, एक सिपाही कृशकाय हो चले अधेड़ की ओर ईशारा करते हुए कहा। वकील राधेमोहन मिश्रा जो अपने दो मुवक्किलों के जमानत के कागजात तैयार कर रहे थे, अपने नाक पर उतर आये चश्मे को ठीक करते हुए सिर उठाये तो देखे कि एक व्यक्ति जो 65 की उम्र में 85 का नजर आ रहा था आशा और निराशा के मिश्रित भाव लिये वकील साहब को निहार रहा था। वकील साहब ने कहा कि अरे दीवान जी ! कुछ है भी इसके पास। दीवान जी ने कहा कि पुलिस गई तो यह अपने पड़ोसियों को गाली दे रहा था, शांति भंग की आशंका में पुलिस इसके पड़ोसियों के साथ-साथ इसको भी ले आयी, ताकी कार्रवाई दोनों पक्ष पर हो।  151 की कार्रवाई है वकील साहब देख लीजिये । वकील साहब ने पूछा है कोई है तुम्हारे साथ ? अधेड़ ने जवाब दिया नाही साहब अकेले हईं, न मेहरारू, न लइका। खाना पानी कैसे होता है ? अगला सवाल, अधेड़ ने जवाब दिया एक ठे फूस क झोपड़ी हव साहब , एक ठे भदेली और कुछ बरतन हव कहीं से कुछ मिल जाला त बना लेईला नाही तो मांग जोंग के खा लेईला, मिलल तो ठीक नाहीं सरजू मईया का पानी साहब बड़ा मीठ ल...

आतंक के गढ़ की तस्वीरें और भी हैं

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पूर्वांचल का सबसे बड़ा जिला आजमगढ़ जिसे आतंक का गढ़ भी कह देते हैं वैसे यह नाम अब जनपद के लिए नया नही रह गया है। इस नाम के साथ जीने और इस नाम के बाप दादाओं से लड़ने की आदत जो इसकी हो गयी है। आजमगढ़ के साथ यह नाम आखिर जुड़ कैसे गया ? इस जनपद की आबो हवा साहित्यिक से  आपराधिक कैसे हो गयी ? आखिर क्यों अब राहुल सांकृत्यायन, कैफी आजमी के नाम की जगह अब अबु सलेम और आतंक के रास्ते पर चलने वाले कुछ भटके नौजवानों के नाम से आजमगढ़ को जाना जाता है ? इन बातों पर विचार करें मन को बहुत तकलीफ होती है, बस यही समझ में आता है कि बुराई से अधिक बुराई की चर्चा की गति तेज होती है जनपद प्राचीन वैदिक काल से ही अपने अस्तित्व को बनाये रखा है। तमसा, सरयू और बेसो नदी की धारा ने बौद्ध धर्म को खूब पोसा। कौशल और काशी दोनो राज्यों के अंग रहे इस जनपद का जिक्र आइने अकबरी में मिलता है। देवल, दुर्वासा और दत्तात्रेय की इस धरती पर कभी अध्यात्म की त्रिवेणी बहती थी। कहा जाता है कि जौनपुर राज्य के अंतर्गत आने वाले खटवा गांव के गौतम वंशीय रियासतदार चंद्रसेन सिंह गौतम के दो पुत्र थे सागर सिंह और अभिमान सिंह। इन दोनो भाईयों म...