वरासत
शेखपुर यही उस गांव का नाम था। नाम के अनुसार शेख तो थे नही लेकिन गांव में हर कोई हसी खुशी रहता था। गांव के कुछ लोग बाहर भी जाकर कमाई करते थे और कुछ गांव में रहकर खेती बारी। इसी गांव में रामजियावन का भी परिवार रहता था। रामजियावन को समय से पहले ही यमराज ने याद कर लिया, घर में रह गयी उनकी बेवा बुधिया। बुधिया और रामजियावन के दो बेटे हुए, गरीबी में ही सही बुधिया ने अपने दोनो बेटे प्रेम और उमेश को बड़े जतन से पाला। प्रेम बड़ा था, और उमेश छोटा। दोनो भाईयों में बहुत प्रेम था शायद यह उस गरीबी का प्रभाव था जो बुधिया और उसके दोनो बेटों ने झेेला था। घर का बड़ा होने के कारण प्रेम के उपर जिम्मेदारियों का बोझ अधिक था। गांव की कमाई से खर्च नही चला तो प्रेम ने परदेश की राह पकड़ी। घर में माता की देखभाल के लिए उमेश था। दिन बीतते चले गये प्रेम की भी शादी हो गयी और कुछ दिनों के बाद उमेश की भी। प्रेम परदेश गया तो जरूर लेकिन गांव से नाता बनाये रखा। छोटके उमेश का वह बराबर ध्यान रखा, प्रेम की मेहरारू मेवाती ने भी सास और अपनी देवरान फूलमती को ...