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हे! तमसे तेरा उद्धार न हो

.. नागरिक अपने घर से आज यूं ही टहलते हुए निकला तो कानों में रामचरित मानस की संगीतमयी ध्वनि मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सो दशरथ अजिर बिहारी सुनकर प्रसन्न हो गया। इस चैपाई को मन ही मन दोहराते -दोहराते नागरिक की विचार श्रृंखला रामचरित मानस, गोस्वामी तुलसीदास, रामायण के रचयिता आदि कवि वाल्मीकि से होते हुए पवि़त्र नदी तमसा तक पहुंच गयी क्योंकि यही वह नदी थी जिसके तट पर विहार कर रहे क्रौंच पक्षी के जोड़े में से बहेलिये द्वारा एक की हत्या पर आर्द्र होकर वाल्मीकि के मुख से संस्कृत का पहला श्लोक फूट पड़ा था। नागरिक मन ही मन मगन हुआ कि उसे इसी पवित्र तमसा के तट पर रहने का सौभाग्य प्राप्त है, उसने सोचा चलो आज उसी पवित्र तमसा के दर्शन क्यों न किया जाय।  टहलते कदमों से बढ़ चला नागरिक तमसा की ओर मन ही मन तमसा के रूप, लावण्य और प्रवाह को सोचते जैसे ही नागरिक तमसा के तट पर पहंुचा तो हर युग में अपने पवित्र जल से जन-जन को तारने वाली पवित्र तमसा का हाल देखकर भौचक रह गया। मल, मूत्र से बजबजाती तमसा को देख नागरिक को उबकाई आ गयी। वह सोच-सोच कर परेशान हो गया कि क्या यह वही देवी स्वरूपा तमसा है जिसके किनारे...

नीट में चयनित हुए विश्वमित्र, खुशी

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पिता व दादा जी की तरह करना चाह रहे नर सेवा एक लक्ष्य व कडे़ परिश्रम से मिली सफलता आजमगढ। सगड़ी तहसील के जीयनपुर नगर पंचायत निवासी डा. नरेंद्र त्रिपाठी के छोटे पु़त्र विश्वमित्र त्रिपाठी का चयन नीट मंे होने से खुशी की लहर दौड़ गयी। बचपन से प्रतिभावान विश्वमित्र के चयनित होने पर लोगों ने बधाईयां दी । जीयनपुर नगर पंचायत निवासी पेशे से चिकित्स डा. नरेंद्र त्रिपाठी के सबसे छोटे पु़त्र विश्वमित्र त्रिपाठी का बचपन से ही यह सपना था कि वह चिकित्सक बन पिता की तरह जनसेवा करे। नर सेवा नारायण सेवा का सुत्र मानकर कार्य करने वाले विश्वमित्र के दादा डा. विजय बहादुर ़ित्रपाठी भी ग्रामीण अंचल में चिकित्सा का कार्य सेवा के भाव से ही करते रहे। अपने दादा व पिता के कार्यों से प्रेरणा लेकर विश्वमि़त्र भी चिकित्सक बनना चाह रहे थे। एक लक्ष्य बनाकर उन्होने प्रयास किया। विश्वमित्र की प्राथमिक शिक्षा चिल्ड्रेन सीनियर सेकेण्डरी आजमगढ़ से इसके उपरांत हाईस्कूल की परीक्षा डीपीएस काशी से उत्तीर्ण की। विश्वमित्र ने इण्टरमीडियेट  की परीक्षा लगभग 94 प्रतिशत के साथ डीपीएस काशी को टाप किया। प्रथम प्रयास में विश्वमि़...

पर्यावरण दिवस पर सम्मानित किये गये इफ्तेखार आजमी

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स्कूलों व सार्वजनिक जमीनों पर करते हैं पौधरोपड़ सीओ सगड़ी सोहराब आलम ने किया सम्मानित आजमगढ़। धरती की हरियाली को सजोने का वर्षो से जतन कर रहे इफ्तेखारआजमी को  पर्यावरण दिवस पर समारोह पूर्वक सम्मानित किया गया। इफ्तेखार आजमी को सम्मानित करते हुए क्षेत्राधिकारी सगड़ी सोहराब आलम ने कहा कि इस तरह के प्रयास लगातार करने की जरूरत है। संगीत  अध्यापन का कार्य करने वाले इफ्तेखार की पहचान अजमतगढ़ क्षेत्र में वृक्ष मित्र की है। वह न केवल नये पौधे लगाते ही नही वरन पूरानों की देखभाल भी करते है। इफ्तेखार अब तक 50 हजार से अधिक पौधों का वितरण कर चुके है।  साथ ही सरकारी कार्यालयों व विद्यालयों के परिसर में हरियाली के लिए वो कटिबद्ध हैं। पौधों को लगाने के साथ ही वह जब तक मजबूत न हो जाय तब तक उनका पूरा ध्यान इफ्तेखार आजमी रखते हैं समय-समय पर पानी देना हो  या उनकी पशुओं से रक्षा करना वो हमेशा तत्पर रहते हैं। 5 जून को मार्डन पब्लिक स्कूल के प्रबंधक रवींद्र जी की पहल पर विद्यालय परिसर में एक आयोजन रखा गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में क्षे़त्राधिकारी सगड़ी सोहराब आलम मौजूद रहे उन्होने इफ...