फसल बर्बादी के सदमे ने ले ली भभूती की जान!
भभूती के खेत का हाल 7 मई को थी पोती की शादी घर में नहीं पहुंचा था एक छटाक गेहूं खेतों में गेहूं के डांठों के पानी में डूबने से लगा सदमा 13 बीघे की फसल में मात्र 5 सौ बोझ गेहूं के और पूरे के पूरे गेहूं अगर खेतों में ही सड़ जाय तो भला किस किसान को सदमा नहीं लगेगा।भभूती भी मंगलवार को आसमान में उमड़ घुमड़ रहे बादलों को देख इस कदर बेचैन हो गया कि बरसात की बूंदों के साथ ही उसका दिल जवाब दे गया। अपने पोती के हाथ पीले करने के सपने संजोये भभूती की इच्छा थी कि वह भी कन्यादान करेगा मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था। पोती की डोली उठने से पहले भभूती की अर्थी उठ गयी। रौनापार थाना क्षेत्र के शाहडीह गांव निवासी 55 वर्षीय भभूती पुत्र शिवपूजन यादव 13 बीघे का काश्तकार था। हर बार गेहूं की अच्छी फसल उसे मिलती थी। मगर इस बार प्रकृति की मार ऐसी पड़ी की पूरे खेतों का मिलाकर महज पांच सौ बोझ गेहूं ही उसे नसीब हुआ।भभूती मौसम के खुलने का इंतजार कर रहा था। पहले से ही फसल कम होने की वजह से परेशान भभूती ...