संदेश

एक ऐसा विद्यालय जहां स्वीमिंग पुल में नहाते हैं बच्चे और दूरबीन से निहारते हैं चांद को

चित्र
एक ऐसा विद्यालय जहां स्वीमिंग पुल में नहाते हैं बच्चे और दूरबीन से निहारते हैं चांद को  अजमतगढ़ शिक्षा क्षेत्र के दाम महुला में स्थित परिषदीय विद्यालय बना चर्चा का विषय सीसी कैमरे से घर बैठे अभिभावक देख लेते हैं बच्चों का हाल प्रदीप तिवारी  आजमगढ़। सगड़ी तहसील के अजमतगढ़ शिक्षा क्षेत्र  में एक ऐसा भी विद्यालय है जहां के बच्चे स्वीमिंग पुल में नहाते हैं और दूरबीन से चांद की धरती को निहारते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं प्राथमिक विद्यालय दाम महुला की, इन दिनों यह विद्यालय का चर्चा का विषय बना हुआ है।  उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के तहत संचालित होने विद्यालयों में नित नये नवाचार देखने को मिल रहे हैं। सरकार विद्यालयों की हालत दुरूस्त करने के लिये जहां विकास विभाग की मदद से कायाकल्प योजना चला रही है, वहीं शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये भारत सरकार के निपुण मिशन को युद्धस्तर पर क्रियाशील किये हुये है।  उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में कुछ ऐसे अध्यापक हैं जो परिषदीय विद्यालयों की गरिमा को बनाये रखने के लिये दिन  रात मेंहनत कर रहे हैं, उनकी मेंहनत विद्य...

मुझे तो आखिरी घर तक दिया जलाना है

चित्र
बदलाव इस विद्यालय के आगे कॉन्वेंट भी शर्माते हैं बासूपार बनकट का प्राथमिक विद्यालय बना रोल माडल प्रधान व प्रधानाध्यापक ने मिलकर बदली सूरत प्रदीप तिवारी आजमगढ़। किसी की जिद और अपने लक्ष्य के प्रति जुनून क्या कुछ नही करवा सकता यह एहसास होता है उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के एक स्कूल प्राथमिक विद्यालय बासूपार बनकट को देखकर। गांव की महिला प्रधान व उनके पति तथा विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहित पूरे स्टाफ ने कायाकल्प नही पूरे विद्यालय की काया ही पलट कर दी, जिसे देखते ही हर कोई कह उठता है साहब ! इस स्कूल ने तो कान्वेंट विद्यालयों को पीछे छोड़ दिया है।    सगड़ी तहसील के मुख्यालय से लगभग 1 किलोमीटर के अंदर ही बासूपार गांव की सरहद शुरू हो जाती है लेकिन यह गांव अपने बुनियादी विकास से कोसो दूर था। पूरे गांव की आबादी लगभग 200 घरों की है, बहुतायत मुस्लिम और अनुसूचित जाति के परिवार हैं। आज से तीन साल पहले की बात करें तो गांव के हर घर के बाहर एक छोटा गड्ढा होता था जिसमें घर का गंदा पानी इकट्ठा होता था और लोग उसे रोज उलीचा करते थे। पूरा गांव गंदगी से जूझता हुआ जल निकासी की समस्या से बजबजाता रहत...

" अधूरा मन "

चित्र
                                          सितम्बर महीने का आखिरी समय चल रहा था, लौटते हुये मानसून की आखिरी बरसात हो रही थी, आसमान में छाये बादल और उनसे बरस रही बूंदें रह -रह के तेज और धीमी हो रही थीं, साथ में हवा के झोंकें पूरे मौसम को सुहावना बनाये हुये थे। समीर ने अपने लैपटाप को खोला और उसकी उंगलियां की बोर्ड पर चलने लगीं जिसके साथ ही नोटबुक पर कुछ छपने लगा था। स्पाटीफाई पर तलत अजीज और लता मंगेशकर की आवाज में एक गजल ....फिर छीड़ी रात बात फूलों की ़़़़़़़़़़़़़़़़़़........ अपनी मधूर स्वर लहरियां बिखेर रहीं थी। सर्द हवा जब भी समीर के बदन से टकराती उसे बहुत अच्छा लगता। थोड़ी देर आफिस का काम निपटाने के बाद उसने अपनी मोबाइल खोल ली, जैसे ही उसने अपना व्हाट्सएप खोला, चारू के कई मैसेज पड़े हुये थे।  “तुम्हे मेरा हाल पूछना हो तो खुद ही पूछ सकते हो किसी दूसरे से पूछने की कोई जरूरत नही हैं“। चारू के इस मैसेज को पढ़ के समीर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ चुकी थी वो समझ चुका था कि चारू का गुस्सा ना...

आस्था का ज्वार हिलोरे लेता है तो निकलती है ऐसी शिव बारात

चित्र
नगर पंचायत जीयनपुर में महा शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं मे उत्साह हाथी, घोड़े से सजी बारात में भूतों ने दिखाये करतब सगड़ी । सगड़ी तहसील के जीयनपुर नगर पंचायत में शिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया, सुबह सबेरे से ही जहां शिव मंदिरों में महादेव के जलाभिषेक के लिये भीड़ उमड़ी रही तो अपराह्न निकली शिव बारात पूरे नगर का भ्रमण कर शाम तक प्राचीन शिव मंदिर पर पहुंची। बारात के दौरान विविध झााकियों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जगहं-जगहं नगर वासियों और दुर्गा पूजा समितियों द्वारा बारातियों के लिये नाश्ते व जलपान की व्यवस्था रही, ढोल, नगाड़े, हाथी, घोड़े, भूत प्रेत से सजी ऐसी बारात तभी निकलती है जब आस्था का ज्वार हिलोरे लेता है।  जीयनपुर नगर पंचायत के मुख्य बाजार स्थित प्राचीन शिव मंदिर, समता नगर बाबा विश्वनाथ मंदिर, व बासदेव स्थान पर महादेव के जलाभिषेके लिये गुरूवार को सुबह से महिलाओं, कन्याओं व श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। सब ने बेलपत्र, धतूरा, भांग, अबीर इत्र आदि चढ़ाकर देवाधिदेव से आर्शीवाद मांगा। मंदिरों पर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही। मंदिरों को परम्परागत तरीके से सजाया गया था। अ...

”प्रेमचंद का अधूरा सम्मान”

चित्र
                     पंडित नगीना स्मारक महाविद्यालय                                                  जोकहरा आजमगढ़                          (सम्बद्ध:उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन , मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज)                                                  लघु शोध प्रबंध  एम.ए. द्वितीय वर्ष तृतीय सेमेस्टर हिंदी विषय से स्नातकोत्तर उपाधि की आंशिक पूर्ति हेतु प्रस्तुत शोध रिपोर्ट   सत्र: 2024 -25                                       ''प्रेमचंद का अधूरा सम्मान”    निर्देशक         ...

खेत बेचवा

चित्र
                        खेत बेचवा बड़ा नाम था पंडित रामदीन मिश्रा का अपने गांव में वो ढाई बिगहे के काश्तकार थे। समय के साथ पंडित जी अपने उमर के चौथेपन में थे, उन्होने अपनी जिंदगी खेती बाड़ी और कथा वार्ता करके काटी थी। उनके समय में   दरवाजे पर हमेशा दो लगेन चउवा जरूर रहते थे। पंडित जी सुबह तड़के जब तक दो खांची गोबर की खाद खेत में फेक नही लेते उनको चैन नही मिलता था। यह उनका नित्य का काम था। चार दाना काली मिर्च के मुंह में  डाल कर वह दोपहर तक खेत में मेंहनत करते वो अपने साथ एक पीले रंग का झोला रखते थे, उस झोले में एक छोटी सी टिफिन में उनके ठाकुर बाबा होते थे, अगर कभी खेतों में काम करते हुये उन्हे देर हो जाती तो वहीं खेत से सटे कूंयें पर ही स्नान कर लेते और ठाकुर बाबा को नहवा कर तुलसी दल और काली मिर्च तथा एक टुकड़ा गुड़ मुंह में डाल लेते ताकि खर सेवर न हो। पंडित जी उत्तम खेती मध्यम बान वाले फिलासफी को सही मानते थे, खेती को संवारने के बाद ही पूजा पाठ और जजमानी देखते थे। पंडित जी को अपने खेतों से बहुत प्यार था वो कहा करते थ...

”धंधा“

चित्र
’मां कसम अगर भगवान कभी पैसा दिया न तो उसके दोनो बच्चों को मै पाल लूंगा’ सिगरेट का गहरा कस लेकर नाक से ढेर सारा धूंआ छोड़ते मुन्नू मिश्रा ने कहा, प्रत्युत्तर में राजेश केवल हामी भर सका था।  हरिश्चंद्र घाट से टहलते-टहलते दोनो चेत सिंह घाट चले आये थे। बनारस के घाट शाम हो या सुबह टहलने का एक अलग ही आनंद देते हैं। एक घाट से सटा दूसरा घाट कब आ जाता है, पता ही नही चलता, देशी और विदेशी सैलानियों को निहारते निहारते राह कट जाती है। दोनो चेत सिंह घाट पर बैठ गये, राजेश की उत्सुकता बड़ी जबरदस्त थी लेकिन वो कुछ पूछ नही पा रहा था। राजेश चाह रहा था कि मुन्नू डिटेल से बताये लेकिन एक अन्जाना सा खौफ व मुन्नू का शातिरपना मुन्नू को राजेश के सामने खुद को खोलने से रोके हुये था। राजेश आजमगढ़ जनपद का रहने वाला था, वो बनारस एमसीए की तैयारी करने गया था। रवींद्रपुरी कालोनी में एक कोचिंग ज्वाइन कर वो कालोनी से सटे एक मुहल्ले में कमरा लेकर रहने लगा था। कोचिंग जाने की राह पर बना बाबा कीनाराम का आश्रम उसे आकर्षित करता था। आश्रम से सटे ही बस्ती थी जिसकी टेढ़ी मेढ़ी गलियों में दो चार कदम चलने के बाद उसका रूम आ जाता था। ...